मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं.
मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है!
मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं.......
कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी...
कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी....
मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं...
मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं...
मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी...
बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं...
मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी...
लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं...

Thursday 13 June 2013

जूता फैंक लेदर, दिल छीछालेदर


ग्वालियर। विधानसभा चुनाव में शर्तिया कांग्रेस को भाजपा से क़ड़ी टक्कर अपनी ही पार्टी की भीतरघात झेलना पड़ेगी। पर्यवेक्षक के तौर पर आए नवप्रभात के सामने कांग्रेस पार्टी में विधानसभा के दावेदारों की लम्बी लाइन लग गई। जो वर्तमान में विधायक है उनकी बात तो ठीक, जबकि जो कभी पार्षद का चुनाव नही जीते वो भी दावेदारी करने से पीछे नही रहे। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस का परचम फहराने का सपना बेमानी से लगता है। यह इसलिए कि उनके घर यानी ग्वालियर के पार्टी कार्यालय में जिला सदर डॊ. दर्शन सिंह अपने खांटी विरोधी मुन्नालाल से उलझते नजर आएं। यहां बता दे वे दोनो ही ग्वालियर पूर्व से टिकट के दावेदार है। जिला स्तर पर पार्टी की पहली पंकित् के नेता इस कदर भिड़ेंगे तो चुनाव में ना जाने कितने नेता, कितनी कब्रे अपने ही पार्टी के दावेदार के लिए खोद देंगे। यही वजह रही कि पिछली बार कांग्रेस को पूर्व से मुन्नालाल व दक्षिण से रश्मि पंवार को हार का सामना करना पड़ा था। आखिर जिला स्तर पर कांग्रेस के भीतर कई सारी कांग्रेस जिनमें दर्शन कांग्रेस, मुन्ना कांग्रेस, प्रदुम्न कांग्रेस, भगवानसिंह कांग्रेस, रश्मि कांग्रेस कब एक होंगी। खैर, एक ना एक दिन कांग्रेस जिला इकाई में आपस में फिंकते लेदर के जूतों से महल में बैठे महाराजा सिंधिया का दिल जरुर छीछालेदर होगा....।
 

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