ऊपर लिखी इन पंक्तियों के मायने बहुत है . देश की मोजुद हालत भी यही बयां कर रही है. हर तरफ दामिनी की मौत पर अंगार भड़क भड़क जा रहे है? इसके के लिए जिम्मेदार कांग्रेस, देश की सरकार या फिर और कौन ? जिम्मेदार आप है, और हा अपनी गलती छुपाने के लिए जज की भूमिका में मत आइये. स्वीकार करे आप अब तक गलत थे, और इन हालातो के बाद आत्म मंथन जरुर करेंगे.
१६ दिसम्बर की घटना के बाद लिखने का काफी दिल था. इस घटना के आखिर कौन जिम्मेदार है इस सही मायने में तय नहीं कर पा रहा था. काफी सोचने के बाद लगा की हालत इस स्तर तक आने के लिए मैं और आप सबसे बड़े दोषी है. अब अनुमान लगाये की ही वारदात को अंजाम देने वाले लोग कहा से आये है. शीला दिक्षित के घर से, कांग्रेस कार्यालय से या पाकिस्तान से. घटना के बाद हम सजा देने अपने ही देश के पुलिस वालो को क्यों चुन रहे है. आखिर पुलिस वालो के भी परिवार और बेटिया है. इसके बाद घटना के बाद दिल्ली के जंतर मंतर और इंडिया गेट पर प्रदर्शन का क्या औचित्य है ? इस आन्दोलन की शुरुआत हमे अपने घरो से करना होगी . अब यहाँ बात शुरुआत से करूँगा, ऊपर लिखी पंक्ति फायर ब्रिगेड मंगवा दे तू.......... इसके विडियो को देख कर मायने समझे जा सकते है. कितने घरो में ये गाना सुबह टीवी ओन होते ही शुरू हो जाता है. पुरुषो के अंडरवियर के विगयापन में लड़की को अर्धनग्न दिखाया जाता है. फिर जलेबी बाई, और चिकनी चमेली और न जाने क्या क्या.....इसमें महिला को मानव जाती की बजै कोई विलासता और उपभोग की वास्तु की तरह पेश किया जाता है. अब रोज सुबह टीवी ओन होते ही जलेबी बाई और फायर ब्रिगेड के रूप में कोई लड़की अर्धनग्न स्क्रीन पर दिखेगी, तो मानसिकता दूषित होना जायज है. यदि विरोध करना है तो देश के सेंसर बोर्ड , आइटम गर्ल मल्लिका अरोरा, मल्लिका शेरावत और क्लौडिया के घर पर प्रदर्शन होने चाहिए. जो आज दिल्ली की घटना से व्यथित है उन्हें यह सन्देश जरी करना होगा की अब कही भी महिला वर्ग को उपभोग की वास्तु की तरह पेश न किया जाये. दामिनी की मौत इस देश में कम से कम नारी समाज को सही सम्मान देने में कामयाब रही तो यह उसकी शहादत समझी जाएगी. दरअसल लिखना बहुत है, पर दिमाग चल रही उथल पुथल को मैं सही शब्द नही दे पा रहा हु. इसलिए थोडा लिखा है, पर ज्यादा समझिएगा.
- आपका , अर्पण राउत, ग्वालियर 474002
१६ दिसम्बर की घटना के बाद लिखने का काफी दिल था. इस घटना के आखिर कौन जिम्मेदार है इस सही मायने में तय नहीं कर पा रहा था. काफी सोचने के बाद लगा की हालत इस स्तर तक आने के लिए मैं और आप सबसे बड़े दोषी है. अब अनुमान लगाये की ही वारदात को अंजाम देने वाले लोग कहा से आये है. शीला दिक्षित के घर से, कांग्रेस कार्यालय से या पाकिस्तान से. घटना के बाद हम सजा देने अपने ही देश के पुलिस वालो को क्यों चुन रहे है. आखिर पुलिस वालो के भी परिवार और बेटिया है. इसके बाद घटना के बाद दिल्ली के जंतर मंतर और इंडिया गेट पर प्रदर्शन का क्या औचित्य है ? इस आन्दोलन की शुरुआत हमे अपने घरो से करना होगी . अब यहाँ बात शुरुआत से करूँगा, ऊपर लिखी पंक्ति फायर ब्रिगेड मंगवा दे तू.......... इसके विडियो को देख कर मायने समझे जा सकते है. कितने घरो में ये गाना सुबह टीवी ओन होते ही शुरू हो जाता है. पुरुषो के अंडरवियर के विगयापन में लड़की को अर्धनग्न दिखाया जाता है. फिर जलेबी बाई, और चिकनी चमेली और न जाने क्या क्या.....इसमें महिला को मानव जाती की बजै कोई विलासता और उपभोग की वास्तु की तरह पेश किया जाता है. अब रोज सुबह टीवी ओन होते ही जलेबी बाई और फायर ब्रिगेड के रूप में कोई लड़की अर्धनग्न स्क्रीन पर दिखेगी, तो मानसिकता दूषित होना जायज है. यदि विरोध करना है तो देश के सेंसर बोर्ड , आइटम गर्ल मल्लिका अरोरा, मल्लिका शेरावत और क्लौडिया के घर पर प्रदर्शन होने चाहिए. जो आज दिल्ली की घटना से व्यथित है उन्हें यह सन्देश जरी करना होगा की अब कही भी महिला वर्ग को उपभोग की वास्तु की तरह पेश न किया जाये. दामिनी की मौत इस देश में कम से कम नारी समाज को सही सम्मान देने में कामयाब रही तो यह उसकी शहादत समझी जाएगी. दरअसल लिखना बहुत है, पर दिमाग चल रही उथल पुथल को मैं सही शब्द नही दे पा रहा हु. इसलिए थोडा लिखा है, पर ज्यादा समझिएगा.
- आपका , अर्पण राउत, ग्वालियर 474002
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