मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं.
मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है!
मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं.......
कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी...
कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी....
मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं...
मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं...
मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी...
बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं...
मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी...
लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं...

Thursday 13 June 2013

हालात पैदा करेंगे विभीषण

ग्वालियर के व्यापार मेले में तीन दिनों तक लगे भगवा मेले में 10 साल से ताजा कमल इस जेठ की गर्मी में मुरझाने का संकेत दे गया। पार्टी पर इस बार भारी विभिषण ही बैठेंगे। (यहां नाम न लेना ठीक रहेगा) दरअसल पार्टी में कभी सिरमौर रहे करंटबाज नेता अब हाशिए पर है। उन्हे भारी गमजा इस बात का है कि वह हमेशा से सादगी से रहे, और उस पर से अपने पट्ठों को भी जमकर तवज्जों दी। इसके बाद भी पार्टी ने एन चुनाव के पहले उन्हे हाथ पकड़ कर प्रदेश में हस्तक्षेप करने से रोक दिया। भगवा मेले में उन्हे दिन और रात कार्यकर्ताओं के बीच देखा गया। जबकि मुंह में तंबाकू का घिस्सा रखकर हमेशा सिर हिलाकर जवाब देने वाले नेता कहां से और कहां जाते थे, ये किसी को पता नही चला। दूसरी और राजनीति के लिए अपना जीवन होम करने वाली साध्वी को पूर्व मुख्यमंत्री के नाते बुलाया तक नही गया। उस पर राजनाथ कह गए कि आपसी व्देश में पूरे घर को आग ना लगा दें। अब अपन से पूछों तो बताएं हकीककत कि अब आग लगी तो पानी डालने वाला भी नही मिलेगा। आखिर पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी तीन दिन शौच धोने के लिए पानी का इंतजाम किसी नेता ने नही किया था।

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